दूर क्षितिज पर किरण पुंज देख रजनी की तो आंखें भर आईं। दूर क्षितिज पर किरण पुंज देख रजनी की तो आंखें भर आईं।
किंतु जब मैं ढलता हूँ, मुझे कोई नमन नहीं करता है, थके हुये मेरे तन को, कोई आर्ध्य नहीं देता, किंतु जब मैं ढलता हूँ, मुझे कोई नमन नहीं करता है, थके हुये मेरे तन को, कोई आर्ध...
दहकते अंगारों जैसे मखमली लाल पलाश दहकते अंगारों जैसे मखमली लाल पलाश
सुख-दुःख की कथा गुथता चल, मन में ॐ की माला फेरता चल. सुख-दुःख की कथा गुथता चल, मन में ॐ की माला फेरता चल.
एक बार खुद ही सोचो एक बार खुद ही सोचो
प्राणों को करेगी तृप्त सुधा देवों का मठ बन जाऊंगा। प्राणों को करेगी तृप्त सुधा देवों का मठ बन जाऊंगा।